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टेक्नोलॉजी
सोशल मीडिया का दावग्नि चेष्ट, कर रहा युवाजन को अपडेट,
परम्पराये बनी हास्य पात्र,युवाजन समझे स्वयं को तात,
विस्मरण है अपने सारे कुल,अपरिचित भावीपीढ़ी ना समझे गुरु का मूल,
कहते इसको नीलकंठी त्रिशूल,बना रहे स्वयं को पदों की धूल।

आ गयी वो अंतिम घड़ी, पूत तोड़े शताब्दी की बेड़ी,
अद्वितीय रूप अजय शरीर, करता भावीपीढ़ी के मन को अधीर,
मूर्ख समझे इसे अर्क मधु,वास्तव में है सारंग वधु,
ऐसा विपरीत पहियाँ घूमे ,भूखे घर पर माँ-बाप भोज में तनया झूमे।

वास्तविकता से है अनभिज्ञ ये समाज,करता है नश्वर धरती पर राज,
पहनकर दुराग्रही ताज,निकालता मुख से कोकी आवाज़,
टेक्नोलॉजी को समझे ये तीर्थधाम,करता इसको मितभाषी प्रणाम,
रिश्ते -नाते सब तोड़कर,करता स्वयं को चीर-दान।

पुल बाँधा प्रशंसाओं ने,वास्तविकता से है पद अज्ञान,
भूलाकर सारे पुरातत्व ज्ञान,भरता अंतरिक्ष की ओर उड़ान,
दान बढ़ा ना शान,शत्रु बना अब ये विदेशी विमान,
मिटाकर सारे अंतिम ईमान,फैलाता अपना मिथ्या नाम!!!


_NightingaleShree