...

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मेरी दास्तां
दिल तो भरा ढेर किस्सों से
बस सुनने वाला कोई चाहिए
लगा कर मरहम उस जख्मों पे
खुश रखने वाला कोई चाहिए,
सदा रहे एक दूजे के
मन में स्वप्न का घर सजाये
तमन्ना तो सिर्फ यूँ है कि
स्नेह करने वाला कोई चाहिए |

आये तो वैसे एक ,दो पर
रह ना पाए दिन चार
जब पूछा, क्यों छोर गए
तब मिली, शब्द बौछार ,
इसी से खुद को अकेले रख
सोचता यही हर बार ,
कि क्या हैं गलती ?जिससे
मुझको छोर जाते मझधार |
अब तो कहता रूह हैं निरंतर
कोई ऐसी काया चाहिए,
जो बिखरे परे जीवन को जोर
निः स्वार्थी होनी चाहिए|









© अविनाश कुमार साह
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