तेरे इश्क़ की रूहानियत….
हर शाम की हसीन रूहानियत के,
जैसी तू दिखती है मुझे…
जिसका तालुक आकाश से,
लेकर चाँद सितारों तक है…
हर सुबह की पहली किरण,
मुझे ऐसे महसूस होती है…
जिसके आने से मेरी ज़िंदगी के,
हर दिन की शुरूआत होती है…
एक दफ़ा तो मैं तेरे लिये,
ख़ुदा से भी लड़ाई कर सकता हूँ…
मगर ! तुझको चाहने को मैं,
मर कर भी नहीं...
जैसी तू दिखती है मुझे…
जिसका तालुक आकाश से,
लेकर चाँद सितारों तक है…
हर सुबह की पहली किरण,
मुझे ऐसे महसूस होती है…
जिसके आने से मेरी ज़िंदगी के,
हर दिन की शुरूआत होती है…
एक दफ़ा तो मैं तेरे लिये,
ख़ुदा से भी लड़ाई कर सकता हूँ…
मगर ! तुझको चाहने को मैं,
मर कर भी नहीं...