"रात"
एक छोटी दुकां खुली होती,
जिसमें मिल जाता, लगभग जरूरत का हर सामान,
वहीं पास से लेनी होती आज्ञा, आगे जाने के लिए,
जो सिखाता, जीवन के सफर में अनुशासन,
वो दूर, कभी हरी, कभी लाल तो कभी संतरी होती,
बत्ती भरती रहती है विभिन्न रंग लगातार,
वह समय-समय पर गरजता...
जिसमें मिल जाता, लगभग जरूरत का हर सामान,
वहीं पास से लेनी होती आज्ञा, आगे जाने के लिए,
जो सिखाता, जीवन के सफर में अनुशासन,
वो दूर, कभी हरी, कभी लाल तो कभी संतरी होती,
बत्ती भरती रहती है विभिन्न रंग लगातार,
वह समय-समय पर गरजता...