तुम एक स्त्री हो....
जानती हो, रीतिका
तुम एक स्त्री हो..
और..
स्त्रियों को सिखाया गया हमेशा,
उन्हे उनकी सीमाओं में रहना...
और तुमने चुना उन्हे तोड़ आज़ाद होना...
उन्हे सिखाया गया किसी के सहारे रहना,
और तुमने चुना अपनो का सहारा बनना...
उन्हे महसूस करायी जाती है उनकी कमज़ोरी
और सामर्थ साहस के लिए जोड़ा जाता है
किसी पुरुष से
बिना किसी प्रेम..और मन के जुड़ाव से...
उन्हे आज़ाद भी किया गया तो शर्तों के साथ..
पर तुमने महसूस किया साहस और चुना आज़ाद होना शर्तों के उस कमज़ोर बंधन से जो एकमात्र...
तुम एक स्त्री हो..
और..
स्त्रियों को सिखाया गया हमेशा,
उन्हे उनकी सीमाओं में रहना...
और तुमने चुना उन्हे तोड़ आज़ाद होना...
उन्हे सिखाया गया किसी के सहारे रहना,
और तुमने चुना अपनो का सहारा बनना...
उन्हे महसूस करायी जाती है उनकी कमज़ोरी
और सामर्थ साहस के लिए जोड़ा जाता है
किसी पुरुष से
बिना किसी प्रेम..और मन के जुड़ाव से...
उन्हे आज़ाद भी किया गया तो शर्तों के साथ..
पर तुमने महसूस किया साहस और चुना आज़ाद होना शर्तों के उस कमज़ोर बंधन से जो एकमात्र...