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बाग-बाग में बहार: कुदरत एक उपहार
चलते-चलते आज मेरा, मन कुछ यूं हर्षाया,
हर ओर हरियाली और रंगो ने खूब लुभाया।
बहारो का मौसम, खिली-खिली हर डाली,
झूला झूले पंखुड़ियां, झुलाए हवा मतवाली।
जहां-जहां जाए नजर, दिखे कुदरत का हुनर,
हर सांस-सांस में ताज़गी, ऐसा हुआ असर।
हजारों रंगो से सजा, बागीचे का कोना-कोना,
बिखरी-बिखरी पत्तियां, आंगन बना बिछौना।
खुशबू और ताज़गी से, भरी-भरी हैं हवाएं,
धरती बनी स्वर्ग, लहराती कलियां अप्सराएं।
देख-देख ये नज़ारे, हुई नज़र-नज़र निहाल,
बाग-बाग हुआ दिल, ज़र्रा ज़र्रा हैं कमाल।
🌸🌿😍
© Sunita Saini (Rani)
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