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मोहब्बत या जरूरत
* शीर्षक — मोहब्बत या जरूरत *
* विधा — कविता *
* भाषा — हिंदी *
* प्रकृति — वार्तालाप *

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* ये जो करती रहती है मेरी मोहब्बत पर तुम शक , प्रिये ! *
* हाँ मानता हूँ मैं , ये है तुम्हारा हक प्रिये! *
* पर तेरी गलतफहमियों को दूर करना मेरा भी है कर्तव्य , प्रिये! *
* मैं भी नहीं चाहता *
जज्बातों के सफर पर हो एक अकेला मेरा ही वर्चस्व , प्रिये! *
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मैं तुम्हारी सिर्फ जरूरत हूं या फिर मोहब्बत
ये जो तुम मुझसे हर बार सवाल करती हो
माना तुम अपने जज्बातों का बहुत ही ख्याल करती हो

तो सुनो —
मैं भी चाहता हूं
हमेशा हमेशा के लिए कर देना ये वहम तेरा दूर
सच मेरा सुनकर तुम करोगी जो भी फैसला
मुझे होगा तहेदिल वो फैसला मंजूर
बस मेरी बातों का तुम कतई मान ना जाना बुरा
बता दूँगा आज मैं अपने दिल की सच्चाई पूरा

इस भीड़ भरी दुनिया में मेरा कोई अपना नहीं एक सिवा तेरे ,,
तुझसे और तेरे नाम से ही होती हैं हर एक सुबह- शाम, दिन- रात मेरे ।।

तेरा साथ और तेरी याद कभी भी कराती अहसास नहीं मैं हूँ बिल्कुल अकेला ,,
तुझसे और तेरे वजूद से ही मेरी जिंदगी में भी है हर एक रिश्तों का बसेरा ।।


मेरी उदास - सी बेरंग जिंदगी में तुझसे ही बहुरंगी खुशियों की रौनक ,,
तू ही है मेरे अंतर्मन में समाहित सद्गुणों, सद्भावों की ऐनक ।।

एक तुझसे ही है मेरे दिल में है हर एक तरह के अहसास ,,
तुझसे ही है कहे - अनकहे मेरे एक एक अल्फाज । ।

मेरे धड़कन की आवाज तुम , मेरे ख्बाबों की परवाज तुम ,,
मेरा हरेक कल और आज तुम,, मेरे जीवन का सरताज तुम ।।

तुझसे ही शुरू होता और तुझपर ही खत्म होता मेरा हर सफर,,
एक तेरे सिवा और कहीं पर किसी पर भी ना जाती है मेरी नजर ।।

मेरे नादान, परेशान मासूम दिल की राहत तुम,
मेरे दिल की पहली और आखिरी चाहत तुम ।।

मेरी मोहब्बत , मेरी दीवानगी , मेरी इबादत तुम ,,
मेरे लिए मेरे खुदा की सबसे खूबसूरत इनायत तुम ।।

बीतते वक्त के साथ जो मजबूत हुए रिश्तें हमारे
बन गई तू अब एक खुबसूरत - सी आदत मेरी ,,
जी सकूँ अपने आगे की बची जिंदगी
खुशी - खुशी सुकून से मैं अब मुझे जरूरत तेरी ।।

पर जो अगर होती तू सिर्फ जरूरत मेरी
तो ना करता हर वक़्त हर लम्हा मैं तुझे याद ,,
तेरी खुशियों, तेरी हिफाजत, तेरी मुस्कुराहट के लिए
ना करता मैं कभी भी अपने खुदा से तेरे लिए फरियाद।।

ना रहती कभी भी हर हमेशा मुझे इतनी फिक्र तेरी,,
ना करता रहता कभी भी मैं अपनी हर एक बातों जिक्र तेरी ।।

ना मैं ढूँढता कभी भी तेरी खुशी में शामिल अपनी खुशी ,,
तेरी वेदनाएं तेरी परेशानियां देखकर ना होता मैं कभी भी दुखी ।।

थोपता रहता हमेशा हर वक़्त हर लम्हा मर्जी अपनी तुम पर ,,
ना देता तुझे कभी कोई अधिकार जो तुम अपना हक जता सको मुझ पर ।।

हां, तुम मेरे लिए सिर्फ मेरी जरूरत नहीं
उससे भी कहीं बढ़कर मेरी एकलौती मोहब्बत हो तुम ।।

इसलिए अपने जहन में आज से कभी भी भूलकर भी लाना ना ये ख्याल ,,
"मोहब्बत हूँ या सिर्फ जरूरत मैं " किया करती हो अक्सर मुझसे ये जो सवाल ।।

© Alfaj _E_Chand ( 💗🌛Moon💗🌛) ✍✍

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