...

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था कभी
था कभी
मुझमे वों
मेरी हर बात में शामिल
हर हँसी के पीछे का चेहरा
हर ख्वाहिशों की मंजिल
हर शाम चांदनी सा पहरा
था कभी
अब नहीं हैं.
अब ढूँढता हूं तो मिलती हैं
टूटी फूटी सी ज़िंदगी
जिसमें मैं ख़ुद ही नहीं हूं
जैसे चोरी हो जाने के बाद
दिखाई देते हैं घरों के कमरे
कुछ वैसा ही
खाली खाली सा दिखता हूं,
मुझमे से मुझको भी
समेट ले गया वो
मेरा जो
था कभी.
© aj_potter100