...

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मेरा घर😔.....
धुत तो! ना भाए मुझको,
हर बात पे टोका - टोकी।
इधर ना जाओ, वो ना खाओ,
मेरे हर काम में ताका- झाकी।
कुछ बोलू तो ज्यादा बोले है
मुंह पे लगाम लगाया कर,
जाकर ससुराल नाम दुबाएगी,
इसको जरा समझाया कर।
पराए घर की दौलत है तू,
इस घर की तू तो मेहमान है।
ब्याह के तू अपने घर जाएगी ,
ये घर तो छन भर का आसमान है।


लो आ गई मै अपने घर,
अब ना रोके टोकेगा कोई।
करूंगी मैं मन की अब तो जमकर,
ना सुनूंगी किसिकी बोले जो कोई।
हाय!लगा मुझे ये मेरा घर है,
पर यहां भी मै पराई हूं,
कुछ भी भूल थोड़ी हुई जो
ताना मिले - कुछ सीख के ना आई हूं।
आखिर घर है मेरा कहा पे,
कोई उस घर का पता बताओ।
जहा मै जाऊ पराया कहलाऊं,
मुझे भी मेरा घर दिखलाओ।
कहने को तो दो घर है मेरे ,
फिर भी बेघर कहलाई हूं।
जिस जिस घर को अपना कहूं मै,
उस घर के लिए असल पराई हूं ........😔😔