एक आवाज़
कईं लहरों का कारवां यूं बनता चला गया ।
जैसे तबियत से पत्थर फैंका हो समंदर में ।।
पहले बस गुमनामियाँ ही गुमनामियां थीं ।
अब नज़ारे ही नज़ारे हैं इस...
जैसे तबियत से पत्थर फैंका हो समंदर में ।।
पहले बस गुमनामियाँ ही गुमनामियां थीं ।
अब नज़ारे ही नज़ारे हैं इस...