...

28 views

ग़ज़ल
2122-1212-22/112
अपनी हस्ती को ही मिटाऊँगा
बाद मुद्दत के लौट आऊँगा

तुम सनम इंतिज़ार करना बस
मैं तुम्हें तुम ही से चुराऊँगा

बे-वफ़ाई का दाग़ गर दोगे
दिल हूँ शीशे का टूट...