सारांश एक नग्न कागज की वैश्या भाग-४.(समाज)
क्योंकि हां वो कौन सा था,
दौर था -
जहां कुछ मेरा और तेरा ना होकर भी,
सब हमारा सा है!
ऐसा क्यों शायद एक बार सा अफसोस सा मालूम पड़ता था।।
क्योंकि क्यों अफसोस सा मालूम पड़ता है?
और फिर आगे बढ़ कर।।
बढते हुए वह मेरे ही द्वारा बताया हुआ चिन्ह मुझी पर...
दौर था -
जहां कुछ मेरा और तेरा ना होकर भी,
सब हमारा सा है!
ऐसा क्यों शायद एक बार सा अफसोस सा मालूम पड़ता था।।
क्योंकि क्यों अफसोस सा मालूम पड़ता है?
और फिर आगे बढ़ कर।।
बढते हुए वह मेरे ही द्वारा बताया हुआ चिन्ह मुझी पर...