...

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दरमियां
दरमियां

न मिलते हम कभी
न बिछडने का होता गम
न थकते मेरे पांव
न फिसलते यूं हाथ
पहली मुलाकात की वो मिठी महक
पहली बारिश की मोतीसी चहक
पहली शर्माती मेरी वो पलक
पहली खुशी की हमारी झलक
कभी सुबह मेरी तेरे सिरहाने
कभी शामे हमारी..बेफिक्रीसे  जमाने
कभी रूठने मनाने के सारे बहाने
कभी सुनाते हम वही महके अफसाने
कितनी यादे कितनी बाते
कितने वादोंके पक्के इरादे..
सुनना चाहो तो सुनो एक बार
वही सारे बेमुक्कमल ख्वाब
सिमटे है अब भी मेरे सिरहाने
थोडी दूर जरुर हूं तुमसे
पर थोडी खफाभी हूं खुदसे
पर्दे खडे है जो ये बीच हमारे
क्या कभी कुछ था बीच हमारे..
हर रात की होती है सुबह
हर बात की होती है वजह
बदली जरुर पुरानी जगह
दरमियां बढे फासलें.. ढुंढू मै वजह




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