*"मेनटेन नहीं रह पाती हैं"*
पूरा घर समेटते समेटते ,
खुद बिखर सी जाती हैं
हां,अब वो स्त्रियां सहजता से
नहीं रह पाती हैं,
आधी रात में भी ,
दूध के भगौने से बतियाती हैं,
एक आवाज पर,
गहरी नींद छोड़ आती हैं,
टिफिन के पराठों संग,
स्कूल पहुँच जाती हैं,
हां ,अब वो स्त्रियां सहजता से
नहीं रह पाती हैं।
कमर दर्द, पीठ दर्द,
हस के टाल जाती हैं,
जूड़े...