...

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मैं एक कहानी
मै किसी की कहानी नहीं ,
गम तो थोरा इसका है,
कि किसी किस्से का मै हिसा नहीं |

अज्र , अजाब , आजमाइश
बस इन्हीं से अब सारा रिश्ता है ,
दिल या दिमाग के बीच रूह ही तो पिस्ता है |

कभी ग़म तो कभी ग़म-ख़्वार ,
कभी आँखे नम और दर्द बार बार,
इन्हीं सब में जिंदगी का सार मिला।
कई दफ़ा जिस्म काफ़्ता और रूह बेज़ार मिला |

मौत से अभी तक मुलाक़ात न करने का गम , और खुल्द के इंतज़ार में दिल बेकरार मिला, जमाने से अलग होने की ख़ुशी,
और फिर सुकून इसमे बेशुमार मिला |

कभी सोचती हूं फिर नहीं रोऊंगी
तो रूला देने वाला एक और सवाल क्या "खूब"और "कमाल" मिला।
फिर भी रस्तो पर कई बार दिल थाम और जिस्म संभाल लिया,
आसु रोक लिए ,और जो हो गया उसे मान लिया|

© ---AFNAN SIDDIQUE .