...

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थोड़े समय के लिए
हम आते हैं थोड़े समय के लिए
इस बहुत समय की पृथ्वी पर
थोड़े समय के लिए हम होते हैं साथ-साथ
अपने होने और न होने के बीच
हम रच लेते हैं एक नयी दुनिया
थोड़े समय के लिए
थोड़े समय के लिए आता है बसंत
तितलियों के संग
जब पत़ंग उड़ाने के मौसम में अक्सर
सुननी पड़ती है पिता की डांट
खिलौनों के टूटने पर बहन की झिड़की
थोड़े समय के लिए हमारे सपनों में
उड़ती है एक चिड़िया
मन भरता है हिरणों सा कुलाचें
धरती पर नहीं पड़ रहे होते पाँव
--यह सबकुछ होता है थोड़े समय के लिए
इस बहुत समय की पृथ्वी पर..