...

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रिश्ते
#स्वीकार
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते
कोई कड़ी तो होगा जो जोड़ा था इस रिश्ते को
कड़ी ईमान और अरमानों का हो सकता था
पर यह तो नायाब रिश्ता था
जो जुड़ा ही था जरूरत से
जब जरूरत पूरी हो गई
तब अगर मगर से टूट गया
छूट गया सारे स्वीकार किए वादे
अब बस बिखरी हुई सी कड़ी खड़ी है
किसी और से किसी और को जोड़ने
एक नए रिश्ते में जिसका वजूद भी कुछ होगा
कितने वक्त का होगा वो रिश्ता
वो तो वक्त ही बताएगा
पर लोग क्या स्वीकार करे ये तो उनपे है ।


© Dibyashree