कई मांस बीत गए
कई मांस बीत गए
सुमन फूल खिलाओ
हें पश्चिम के सूरज
अब तो निकल कर आओ
भाग्य प्रमुदित हो जाएं
राहें गौन न रह जाओ
100 कष्टों को झेल कर
पुनीत कर्म पर इठलाओं
बधाएं आते जाते हैं
हंसकर गले लगाओ
आड़े आने वाले पत्थर को
सुधि रस पिलाओ
रुख हवा...
सुमन फूल खिलाओ
हें पश्चिम के सूरज
अब तो निकल कर आओ
भाग्य प्रमुदित हो जाएं
राहें गौन न रह जाओ
100 कष्टों को झेल कर
पुनीत कर्म पर इठलाओं
बधाएं आते जाते हैं
हंसकर गले लगाओ
आड़े आने वाले पत्थर को
सुधि रस पिलाओ
रुख हवा...