मन की चौखट
चौखट लांघना
कभी कभी आसान नहीं होता
ख़ासकर जब मन में कोई दुराभाव हो
मेरे लिए तुम्हारे मन की चौखट लांघना
उतना ही मुश्किल रहा
जैसे किसी नास्तिक का मंदिर की चौखट लांघना
उसे कतई विश्वास नहीं है ईश्वरीय सत्ता पर
ईश्वर का होना ही नकारता रहा
इसे दुराभाव ही कहेंगे ना
देखो मुझे ये भी नहीं ज्ञात है
कि याचना कैसे करते हैं
जैसे नास्तिक को प्रार्थना करने का ढंग नहीं आता
आज मुझे उस नास्तिक में और स्वयं में
कोई फर्क नज़र नहीं आता
वो भी...
कभी कभी आसान नहीं होता
ख़ासकर जब मन में कोई दुराभाव हो
मेरे लिए तुम्हारे मन की चौखट लांघना
उतना ही मुश्किल रहा
जैसे किसी नास्तिक का मंदिर की चौखट लांघना
उसे कतई विश्वास नहीं है ईश्वरीय सत्ता पर
ईश्वर का होना ही नकारता रहा
इसे दुराभाव ही कहेंगे ना
देखो मुझे ये भी नहीं ज्ञात है
कि याचना कैसे करते हैं
जैसे नास्तिक को प्रार्थना करने का ढंग नहीं आता
आज मुझे उस नास्तिक में और स्वयं में
कोई फर्क नज़र नहीं आता
वो भी...