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आतंकवाद
शर्तों की शुली पर टंगा देश का भाग्य है,
हिंसा के झूले पर दुर्भाग्य झूल रहा है,
जगह जगह आतंकवाद अपने डेरे डाले हैं,
कौन बचाएगा देश को जब रक्षक लूटेरे हैं।
सोने की चिड़िया को लगा दिया है दांव पर,
अपना देश अब खड़ा है विदेशी के पांव पर,
राजनीति के चपेट मे कमजोर फंस जाते हैं,
अनाचार की दुनिया में भ्रष्टाचारी ही जीते हैं।
हथियारों की बाढ़ है खेत और खलिहान में,
बारूदी दुर्गंध भरा है केशर के बागानों में,
गलियों और सड़कों पर अब मौत के पहरे हैं,
कौन बचाएगा देश को जब रक्षक ही भक्षक है।
विज्ञान की चमक से धनी लोग चमक रहे हैं,
ऐसी चमक से क्या लाभ जब गरीब मर रहे हैं,
ऐसा ज्ञान से क्या होगा जब बच्चे ही भूखे हैं कौन बचाएगा देश को जब रक्षक ही भक्षक हैं।आज सारा देश आतंकवाद का डेरा है।
हिंसा के झूले पर दुर्भाग्य झूल रहा है,
जगह जगह आतंकवाद अपने डेरे डाले हैं,
कौन बचाएगा देश को जब रक्षक लूटेरे हैं।
सोने की चिड़िया को लगा दिया है दांव पर,
अपना देश अब खड़ा है विदेशी के पांव पर,
राजनीति के चपेट मे कमजोर फंस जाते हैं,
अनाचार की दुनिया में भ्रष्टाचारी ही जीते हैं।
हथियारों की बाढ़ है खेत और खलिहान में,
बारूदी दुर्गंध भरा है केशर के बागानों में,
गलियों और सड़कों पर अब मौत के पहरे हैं,
कौन बचाएगा देश को जब रक्षक ही भक्षक है।
विज्ञान की चमक से धनी लोग चमक रहे हैं,
ऐसी चमक से क्या लाभ जब गरीब मर रहे हैं,
ऐसा ज्ञान से क्या होगा जब बच्चे ही भूखे हैं कौन बचाएगा देश को जब रक्षक ही भक्षक हैं।आज सारा देश आतंकवाद का डेरा है।
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