...

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जुगनू
रात गंवाई है मैंने रो रो के,
सबेरा फिर भी मेहरबां ना हुआ,
पत्थर बनाया था घिस घिस के,
ये शायर दिल, हमारा ना हुआ,
कभी तुझको जो प्यार हो,
जहां की खुशियां लेकर आए,
जुगनू रौशन हों तेरे बहारों पर,
ये रातें सारी मेरे नसीब में समाए।

© Anamika Tripathi