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नजर और नजरिया


नजर और नजरिया बहुत मायने रखता है एक इंसान के लिए
और इस नजर का केन्द्र बिंदु होती है एक लड़की मां बेटी
जो नजर हमारी खुद की मां बेटियों के लिए सही रहती है
वही नजर दूसरे की बहन बेटियों के लिए घिनौनी क्यों बन जाती है
नजरो के इस संदर्भ में एक खास विषय मैं चुनू
वैश्या समाज के बारे में अपनी नज़र से मैं कुछ लिखूं
एक वैश्या को हम किस नजर से देखते है
क्या वो वैश्या पैदा होते ही बनी
उसके वैस्या बनने में हाथ तो हमारा और हमारी नजर और गिरी हुई मानसिकता का है
क्या उस वैश्या ने बचपन में ये सोचा था मैं एक वैश्या बनूगी
मुझे कोठे वाली सेक्स वर्कर आवारा रण्डी ऐसे नामो के साथ संबोधित किया जायेगा
अगर उसे ऐसे नाम दिए गए तो फिर उन पुरुषों को क्यों नहीं जो अपनी प्रेमिका पत्नी को छोड़ आते है उनके पास अपनी जिस्म की भूख मिटाने
और भूख भी ऐसी जो एक स्त्री रूपी वैश्या ही पूरी कर सकती है
किसी की फैंसिटी उसे सिगरेट से जलाने में है
तो कोई बेल्ट से मरता है
तो कोई केश पकड़ के घसीटता है
और कई तो ऐसे जो उसके उरेजो को किसी रस्सी या धागे से बांध खींचते है
और कई उसके गुप्तांगों पे कई तरह के प्रयोग करते है जो शायद वो कभी किसी से जिक्र भी न कर पाए
और तो और उनके हाथ पैर मुंह तक बांध दिए जाते है
और वो अगर उफ्फ भी करी तो तामचो से उनके गाल लाल कर दिए जाते है
और तो और स्त्रियां भी वैश्या को एक सौतन दुश्मन और पता नही किस नजर से देखती है
उनकी संवेदना भी उस स्त्री रूपी वैश्या के साथ नही होती जो कभी उनके जैसी किसी परिवार की बेटी बहु थी
छोड़िए खैर इन बातो को इसमें दोष नजर का है
और हृदय पे हाथ रख के कहूं या आप सब सोचे
नजर तो हमारी भी कभी गंदी और आंखों से ही किसी लड़की को इस तरह देखने घूरने की जैसे हम नजरो से ही उसका चीर हरण कर देगे
लेकिन उस नजर को तो मैंने सुधार लिया
क्या आप सुधार पाए अगर नही तो कब
अगर नहीं तो कब

✍️ ✍️ शिवोम उपाध्याय
© शिविषा