...

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पहले जलना में चाहता हूं
किया किया लिखू तुम्हारे बारे में
जो भी लिखु सब झूठ लगता है
किया बताऊं तुम्हारे बारे में
जो भी बताऊं,जिसको भी बताऊं
ये सब बाते मुझे एक सपना लगता है
वैसे किया गुना किया मेने
आकाश, वायु,अग्नि,जल, पृथ्वी
ये पंचमहाभूत को वचन देकर
तुमको अपना बनाया था,
अग्नि को सखि मान कर
तुम जो सात फेरे लिए थे
याद करो वो सातवी शलोक को
परस्त्रियं मातृसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कुर्या।
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: ।।
मेने तुम्हे वचन दिया था
तुम्हे छोड़ कर बाकी सभी स्त्री को
अपनी मां के समान समझूंगा
और मेरा प्यार तुम्हारे अलावा
और किसी में नहीं बंटेगा,
ये सब भूल गई तुम
आज भरोसा ही नही है मुझ पर
इतनी गेहेरी निगाहों पे मत देखो मुझे
में तो तुम्हारी परछाई बनना चाहता हूं
जो पड़े धूप तुम पर,
पहले जलना में चाहता हूं..
© _DILLIP KUMAR