उलझन
निढाल हो कर
बैठ गई है वो
थक हार कर
कभी सोचा न था
कि सौदा करेंगे
लोग उनकी भी
जिनके खुद खुदा
बन बैठे हैं
बड़ी उलझन में हूँ
क्या सोची
और क्या हो गया
मेहनत सारी
नाकाम हो रही है
अश्क पलकों से
झर...
बैठ गई है वो
थक हार कर
कभी सोचा न था
कि सौदा करेंगे
लोग उनकी भी
जिनके खुद खुदा
बन बैठे हैं
बड़ी उलझन में हूँ
क्या सोची
और क्या हो गया
मेहनत सारी
नाकाम हो रही है
अश्क पलकों से
झर...