मोहब्बत की रूह क्या माँगती है।
कभी सज़ा मांगती है, कभी वफ़ा मांगती है
न जाने ये मोहब्बत की रूह हमसे क्या मांगती है...
उस लापता शक़्स का पता मांगती है,
सुकून दिल को ऐसी जगह मांगती है...
ख़्वाबों को सुला दे ऐसी दावा मांगती है
चरागों को जला दे ऐसी शमा मांगती है...
न जाने ये मोहब्बत की रूह हमसे क्या मांगती है,
अपनी शख्सियत दर बदर मांगती है...
न जाने ये मोहब्बत की रूह हमसे क्या मांगती है...
उस लापता शक़्स का पता मांगती है,
सुकून दिल को ऐसी जगह मांगती है...
ख़्वाबों को सुला दे ऐसी दावा मांगती है
चरागों को जला दे ऐसी शमा मांगती है...
न जाने ये मोहब्बत की रूह हमसे क्या मांगती है,
अपनी शख्सियत दर बदर मांगती है...