...

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मोहब्बत की रूह क्या माँगती है।
कभी सज़ा मांगती है, कभी वफ़ा मांगती है
न जाने ये मोहब्बत की रूह हमसे क्या मांगती है...

उस लापता शक़्स का पता मांगती है,
सुकून दिल को ऐसी जगह मांगती है...


ख़्वाबों को सुला दे ऐसी दावा मांगती है
चरागों को जला दे ऐसी शमा मांगती है...

न जाने ये मोहब्बत की रूह हमसे क्या मांगती है,

अपनी शख्सियत दर बदर मांगती है
खूबसूरत सुबह हो जहाँ ऐसा घर मांगती है...

कभी वक़्त मांगती है, कभी हर वक़्त मांगती है
कभी फ़क़त मौजूदगी की झलक मांगती है...

न जाने ये मोहब्बत की रूह हमसे क्या मांगती है,

कभी तड़प सी चुभन मांगती है
कभी अहसास नरम मांगती है...

कभी चादरों पे सुकडन मांगती है
कभी दमन की गवाही के सबूत मांगती है...

न जाने ये मोहब्बत की रूह हमसे क्या मांगती है,

कभी कूचे बाज़ार में बिकती आरजू मांगती है,
कभी जान क़ुर्बान करे ऐसा जुनू मांगती है...

न जाने ये मोहब्बत की रूह हमसे क्या मांगती है,
© maniemo