*****बिखरता बचपन ******
नन्हे नन्हे कँधे हैं , और बोझ परिवार का उठाते हैं,
हर दिन हर पल ,शोषण की चक्की में पिसते जाते हैं,
कोई नही समझ पाता ,इनके नन्हे से कंधों का ग़म,
होंठो पर ...
हर दिन हर पल ,शोषण की चक्की में पिसते जाते हैं,
कोई नही समझ पाता ,इनके नन्हे से कंधों का ग़म,
होंठो पर ...