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जिंदा हूँ।
आसमान को बतादो, में जिन्दा हूँ
जमीन को बतादो, में जिन्दा हूँ
समय मिले तो मा को भी मेरी मरने का बता देना,
उसके हर बूंद आँसू को बता देना में जिन्दा हूँ।
उसे भी बता देना, तेरी हर राहे पर, मैं ज़िन्दा हूँ।
यह वतन मेरा,
यहां जन तो है पर गण नहीं,
यहां मन तो है पर एकता नहीं।
जो भी हो मेरा अपना है,थोड़ी भटका हुआ पर सही है,
इसके ख़ातिर एक नहीं सौ जनम कुरबान हैं।
इसकी हर मुस्कान पर मैं जिन्दा हूँ,
इसकी हर कण पर मैं जिंदा हूँ।
© drath1122
जमीन को बतादो, में जिन्दा हूँ
समय मिले तो मा को भी मेरी मरने का बता देना,
उसके हर बूंद आँसू को बता देना में जिन्दा हूँ।
उसे भी बता देना, तेरी हर राहे पर, मैं ज़िन्दा हूँ।
यह वतन मेरा,
यहां जन तो है पर गण नहीं,
यहां मन तो है पर एकता नहीं।
जो भी हो मेरा अपना है,थोड़ी भटका हुआ पर सही है,
इसके ख़ातिर एक नहीं सौ जनम कुरबान हैं।
इसकी हर मुस्कान पर मैं जिन्दा हूँ,
इसकी हर कण पर मैं जिंदा हूँ।
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