"समय पर एकता की विजय"
विचलित हो चला है मन,
अब बंद दरवाज़े में,
उड़ना चाहता है अब,
खुले आकाश कि इस चादर में।
इम्तिहान कि घड़ी है,
हर तरफ़ संसार में,
जीतना चाहता है हर कोई,
लेके मशाल हाथ...
अब बंद दरवाज़े में,
उड़ना चाहता है अब,
खुले आकाश कि इस चादर में।
इम्तिहान कि घड़ी है,
हर तरफ़ संसार में,
जीतना चाहता है हर कोई,
लेके मशाल हाथ...