...

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kuch bat ya sirf jazbat
वो हिजर की रात थी जब तेरा मुझसे रिश्ता टूटा । रूठा उस खोदा से तुझसे कभी नहीं रूठा ।था मालूम मुझे की तो कभी नहीं लौटेगी मगर इन निगाहों का इंतजार कभी नहीं टूटा। ज़माने ने तो पागल करार दे दिया मुझे मगर आज भी तेरी खिड़की पर इंतजार करने का नियम नहीं टूटा।