...

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हर पन्नों पर तेरा ही अक्स....❤️
हर पन्नों पर तेरा ही अक्स
उभर कर आया हैं,
तू बन गया लब्ज
अश्कों का समंदर आज
छलक ही आया हैं...

ना तू मुझसे जुदा हुआ
ना मेरा ही बन पाया हैं,
कुछ तो कशिश है जो
तुझे मेरे करीब अब भी ले आया है....

हर फासलों को मिटा
मैने तेरे वजुद में खुद को पाया हैं,
कहीं तो मिले थे दो दिल
जो कहीं रुह में समाया हैं...

तड़प रही है आज मोहब्बत,
ये तुफान गर्दिशों का क्यों छाया हैं...
थाम ले आकर अब हाथ मेरा,
मेरे गजलों में तेरा ही नूर समाया हैं !!

~P.s