...

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मधुशाला...
ये जो हाथ में प्याला है,
कहीं ले जाता मुझे हर रोज
जहाँ मधुवाला की मधुशाला है,
जहाँ मिट जाती
अभिलाषा है.........

वरना कब की दुश्मनी हो जाती उससे
जो गर्दिशवाला है.....

जो गर्दिश में बैठा ,थामें है साँसो की डोर......
जो दे रहा था,तेरी साँसो ली धागों पर
धीरे-धीरे जोर.......

© ya waris