तू इंसान है तू इंसान है
कितना सरल होता है ना, किसी को गलत मन्ना,
अब देखो कोई दूसरे के लिए जान दे तो मतलबी,
कोई खुद के लिए कोई काम कर ले तो खुदगर्ज,
ये जीवन ऐसा है जिस्मे लोगो ने लोगो को टोका है,
और फिर पीछे से चाकू और तलवार भोका है।
अपने और पराए में फर्क कैसे करूं, जो बगल में खड़ा है उसी ने दिया धोखा है,
जिंदगी बड़ी मुश्किल है साहब सही करने पर भी हर बार मुझे दुनिया ने रोका है,
खुद के पैरो की छाप को कभी ना किसी ने देखा है,
न खुद के कर्मों को कभी किसी ने सोचा है,
ना आगे बढ़ो ना बढ़ने दो जिसने इस बात को सीखा है, वही आज दुनिया की भीड़ में इंसानों से ना जीता है।
मत कर प्रलोभन, अहंकार, क्रोध, कपट, छल ये सब कुरीतियों में क्या रखा है,
बनना है एक इंसान बन अपने कर्मों से,जैसे शंकर ने विश् को ग्रहण किया है,
सरल, साफ, इंसान का कष्ट भी भगवान ने हर लिया है।
मत सोचो क्या होगा अभी, क्या होने वाला है कभी,बस कर्म करते बढ़ते जाना है,
तू आया ही अकेले है,और ना जाएगा कोई साथ ही,
क्यों सोच दुनिया के लिए क्यों वक्त की बर्बादी भी,
मैं सत्य यही बतलाता हूं, धूप में वो घास भी,
ये जान के भी लेहलाहती है , कि सुख जाऊंगी एक दिन सही,
उस नदी के बहाओ से सीख, जो सुखे जलधाराओं में भी, बहाओ ना अपना छोड़ रही,
ये बात तू अब जान भी, ये बात अब तू मान भी,
तू स्वयं में बलवान है, मैं सत्य तुझे बतलाता हूं, तू इंसान है तू इंसान है।।
© Smriti's Tiny World
अब देखो कोई दूसरे के लिए जान दे तो मतलबी,
कोई खुद के लिए कोई काम कर ले तो खुदगर्ज,
ये जीवन ऐसा है जिस्मे लोगो ने लोगो को टोका है,
और फिर पीछे से चाकू और तलवार भोका है।
अपने और पराए में फर्क कैसे करूं, जो बगल में खड़ा है उसी ने दिया धोखा है,
जिंदगी बड़ी मुश्किल है साहब सही करने पर भी हर बार मुझे दुनिया ने रोका है,
खुद के पैरो की छाप को कभी ना किसी ने देखा है,
न खुद के कर्मों को कभी किसी ने सोचा है,
ना आगे बढ़ो ना बढ़ने दो जिसने इस बात को सीखा है, वही आज दुनिया की भीड़ में इंसानों से ना जीता है।
मत कर प्रलोभन, अहंकार, क्रोध, कपट, छल ये सब कुरीतियों में क्या रखा है,
बनना है एक इंसान बन अपने कर्मों से,जैसे शंकर ने विश् को ग्रहण किया है,
सरल, साफ, इंसान का कष्ट भी भगवान ने हर लिया है।
मत सोचो क्या होगा अभी, क्या होने वाला है कभी,बस कर्म करते बढ़ते जाना है,
तू आया ही अकेले है,और ना जाएगा कोई साथ ही,
क्यों सोच दुनिया के लिए क्यों वक्त की बर्बादी भी,
मैं सत्य यही बतलाता हूं, धूप में वो घास भी,
ये जान के भी लेहलाहती है , कि सुख जाऊंगी एक दिन सही,
उस नदी के बहाओ से सीख, जो सुखे जलधाराओं में भी, बहाओ ना अपना छोड़ रही,
ये बात तू अब जान भी, ये बात अब तू मान भी,
तू स्वयं में बलवान है, मैं सत्य तुझे बतलाता हूं, तू इंसान है तू इंसान है।।
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