अस्थायी आनंद
आज रात, गलियाँ रौशन हैं,
दीप इतना झिलमिला रहे है की तारे भी शर्मा जाए
संगीत गूंज रही हैं और हंसी में हर ग़म जैसे खो जाए।
नए कपड़ों में सब चमक रहे हैं,
मुस्कुराते चेहरे, दिल का ग़म छुपा रहे हैं।
सब जानते...
दीप इतना झिलमिला रहे है की तारे भी शर्मा जाए
संगीत गूंज रही हैं और हंसी में हर ग़म जैसे खो जाए।
नए कपड़ों में सब चमक रहे हैं,
मुस्कुराते चेहरे, दिल का ग़म छुपा रहे हैं।
सब जानते...