तू सोच !
क्या तू अपने ही नज़रों में काबिल नहीं है?
क्यों हताशा से भरा तेरा मन है
दुनिया के सामने मत बनके रह तू अनजान
साद निशाना अपने लक्ष्य की ओर और छोड़ दे कमान
मत सोच क्या कहेंगे वह
सोच तू खुद से क्या कह रहा है
कहीं दूसरों की बातों में...
क्यों हताशा से भरा तेरा मन है
दुनिया के सामने मत बनके रह तू अनजान
साद निशाना अपने लक्ष्य की ओर और छोड़ दे कमान
मत सोच क्या कहेंगे वह
सोच तू खुद से क्या कह रहा है
कहीं दूसरों की बातों में...