...

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खुद को अकेला पाता हूं
पथ पथ पर हार
मन को मार मार
चलें जा रहा हूं अकेला
अंतर में यहीं आसंका
कहीं न हों जाए कोई खेला
बधाई भी खुद ही
सहानुभूति भी
हार कर भी देखा
जीत कर भी देखा...