10 views
एक दरख़्त
मैं एक दरख़्त उसके सफर में अपने नाम का छोड़ आया हूं
एक उम्मीद में कि एक दिन थक कर वहां आराम करेगा
और सोचेगा कि क्या पाया क्या खोया इस सफर में
तो मेरे होने या न होने का उसे ख्याल आयेगा
फिर शायद लौट आने की चाहत दिल में आ जाए
और लौट कर मुझे अपने सीने से लगाएगा
मलाल करेगा अपने हर फैसले पर जो उसने लिया था
और अपने आंसुओ से मुझे तर कर जायेगा
मैं उसको तसल्ली दिलाने की जद-ओ-जहद करता रहूंगा
मगर उसके बाहों के घेरे से आजाद न हुआ जायेगा
उसकी सिसकियां मेरे कानों में गूंजेगी बहुत
मेरे आंसुओ को भी रहा न जायेगा
मैं अपनी नम आंखें लिए उसे को चूम लूंगा
मेरे लब उसके गर्दन को छू जायेगा
उसकी धड़कन जो मेरे धड़कनों को छू रही होंगी
शायद मेरे मौत का सबब बन जायेगा
मुमकिन है कि इस तरह मैं मुकम्मल हो जाऊ
और वो मुझे पा कर भी अधूरा रह जायेगा
यह एक ख्याल हैं जानते हैं मगर
इस तरह भी उसे जिया जायेगा।
© Rahmat Dilshad
एक उम्मीद में कि एक दिन थक कर वहां आराम करेगा
और सोचेगा कि क्या पाया क्या खोया इस सफर में
तो मेरे होने या न होने का उसे ख्याल आयेगा
फिर शायद लौट आने की चाहत दिल में आ जाए
और लौट कर मुझे अपने सीने से लगाएगा
मलाल करेगा अपने हर फैसले पर जो उसने लिया था
और अपने आंसुओ से मुझे तर कर जायेगा
मैं उसको तसल्ली दिलाने की जद-ओ-जहद करता रहूंगा
मगर उसके बाहों के घेरे से आजाद न हुआ जायेगा
उसकी सिसकियां मेरे कानों में गूंजेगी बहुत
मेरे आंसुओ को भी रहा न जायेगा
मैं अपनी नम आंखें लिए उसे को चूम लूंगा
मेरे लब उसके गर्दन को छू जायेगा
उसकी धड़कन जो मेरे धड़कनों को छू रही होंगी
शायद मेरे मौत का सबब बन जायेगा
मुमकिन है कि इस तरह मैं मुकम्मल हो जाऊ
और वो मुझे पा कर भी अधूरा रह जायेगा
यह एक ख्याल हैं जानते हैं मगर
इस तरह भी उसे जिया जायेगा।
© Rahmat Dilshad
Related Stories
19 Likes
2
Comments
19 Likes
2
Comments