...

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निगाहें बेज़ुबान
थी हमारी
आपसे ऑंखे मिली आँखो में जान आ गयी

जब से आपकी छवि बसी है आँखो में
तब से बाहर आ गयी है ज़िंदगी में

डरने लगे है अब तो रोने से कहीं
बह ना जाये आपकी छवि

सुरमा लगाने लगी हुँ मैं अब तो आँखो में
कोई देख ना ले तुमको मेरी आँखों में

नज़र ना लग जाये कही तुमको किसी की
इस लिये किसी से नजरें मिलाने से कतराती हूँ

पलकें झुका लेती हूं अक्सर जब
कोई मेरी आँखों की तारीफ़ करता है

मेरी आँखों में कही तुमको देख ना ले कोई
इस लिये सबसे नजरें चुराने लगी हुँ

सुकून का अहसास होता है
जब ऑंखे बंद करके तुमसे मिलती हुँ