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"नारी का सच्चा रूप.....!! "

नारी जगदंबा है , नारी ही दुर्गा है..
नारी ही गौरी का रूप है ,नारी ही हैं महाकाली ....,
नारी ही शीतल हवा, नारी ही रजनी है ...,
नारी ही प्रकृति है ,नारी मां धरती है .....,
नारी ही जगत जननी है , उसने ही हमें जन्म दिया...,
पीकर उस मां का ही दूध , हमने उसी अमृत से अपना जीवन सफल किया.....,
बात आई जब-जब उसके इज्जत की ,
तब हम में से ही कुछ लोगों ने मिलकर उसका अपमान किया......!!



नारी ही मंदिर है, नारी ही पूजा है,नारी ही हैं पूजा का वरदान ..,
फिर भी क्यों? तोड़े जा रहे हैं उसके ही अरमान.....
ना मिलता कभी उसे समाज में मान, तो वह क्यों ?करें ऐसे दकियानूसी समाज का सम्मान..,
नारी ने ही किया हमेशा अपना बलिदान ,तोड़कर अपने सजाएं अरमान ...,
नारी ही ठंडी छाया है , नारी ही माया है,
जीवन में भले ही उसने लोगो की फब्तियों भरा विष पिया हैं, लेकिन उसी नारी ने हमे खुशियों भरा अमृत पिलाया हैं...,
नारी ही वो मां है, जिसने आधी रात को उठकर गिले से हमें सूखे में सुलाया है...,
लेकिन हर बार क्यों? हमने उसे ही रुलाया है ...,
नारी ने ही दिया सबको जीवन का दान , करके अपने ख्वाहिशो का बलिदान .........!!



नारी ही लक्ष्मी है ,नारी मां सरस्वती है ....,
नारी शिव की पत्नी पार्वती है, नारी ही गीता है ,नारी ही सीता हैं, नारी ही बहता शीतल जल है...., नारी ही भूत, वर्तमान और आता कल है.......,
नारी ही प्रेम है, नारी ही वह राधा है ,जिसके गुणगान आज भी सारा जग गाता है......,
नारी ही धीरज हैं, नारी ही वह मीरा है ...,
जब-जब आए संकट अपनों पर, तो बन जाती वह काली वीरा है..,
नारी ही जोधा हैं, नारी ही हैं लक्ष्मीबाई ....,
जब भी आए संकट अपनों के रिश्तों पर, तो उनकी डोर है बचाई.............!!



नारी वह है जिसने निभाया हमेशा अपना पति- धर्म ,
जोड़कर रिश्ता पति के साथ, अपना नाम मिटाया है ...,
अपने नाम के आगे ,अपने पति का नाम लगाया है ....
हर दुख में साथ निभाया है ,
अपने खाने से पहले अपने पति को खिलाया है .....,
वह पतिव्रता नारी है, फिर क्यों? हर वक्त पति ने उसकी अंतरात्मा को रुलाया है ......!!



नारी ही गुरु है, नारी ही हैं शांति, जब-जब बात आती है अपने सम्मान की, तो बन जाती है वह क्रांति ....,
नारी ही भक्ति हैं , नारी ही शक्ति है....,
नारी ही आशा है ,नारी है अभिलाषा ....,
नारी खुद में है पूरे संसार की परिभाषा,
फिर भी नारी की कभी पूरी नहीं होती आशा ,
क्यों? मिलती है उसे सदैव निराशा .......!!



नारी ही ठंडी छाया है, नारी है सुगंधित फूल ...,
नारी ही पवित्रता और सच्चाई का है मूल.....,
नारी ही मां है, नारी ही है ममता, कितने ही दुखों की चोट खाकर सहती दर्द को , ऐसी उसमें है क्षमता ....,
दुष्ट प्राणी तुम क्या लगाओगे नारी का मोल , सुन हैवान तेरा चरित्र कितना साफ हैं? पहले ये तो बोल...,
अरे.. तुम क्या लगाओगे उसका मोल, जिसने खुद खुदा को भी बनाया है अनमोल......!!



नारी के ना तोड़ो अरमान, बस इतना कर लो उसका सम्मान,
थोड़ा-सा रख लो उसकी भावनाओं का भी मान ....,
दे दो अब तो उसे भी अधिकार तुम्हारे समान....,
तभी मिलेगा सच्चा भगवान, वरना टूट जाएंगे तुम्हारे भी अरमान....,
फिर कोई नहीं करेगा तुम्हारा भी सम्मान...,
इसलिए नारी का ना करो अपमान....,
क्योंकि नारी ही है तुम्हारा मान और सम्मान......,
वही हैं तुम्हारा मान और सम्मान.......!!

____ JANKI KUNWAR
@jankikunwar23
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