...

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आखिर क्या करता
लाईलाज रोग था
तबीब आखिर क्या करता

अपनो ने दिया जख्म था
रकीब आखिर क्या करता

दूर उसे होना ही था
मैं करीब आखिर क्या करता

उसे शोहरत बेशुमार मिली
मैं गरीब आखिर क्या करता

वो खुद बिछड़ना चाहता था
नसीब आखिर क्या करता

मौत ही मुकद्दर थी
" दीप" आखिर क्या करता



© शायर मिजाज