...

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वक़्त ही तो नहीं है..
शायद उनके पास यादों की सवारी लिए
खास पलों में दिल की खुमारी के लिए

एक ओर दिन ढलता है खुदको तन्हा रखते
दुजी ओर निगाहें बंद ना होती राह तखते

पर फिर भी परवाह किसे है इस शख्स की
घर में सजा रखे हो जैसे मोतियों के अश्क सी

क्या मायने होते है जब शब्दों को कैद हो
खामोशी आज़ाद होकर जज्बात...