...

3 views

पाती
प्रभुजी,
बड़े भाव से आपको बुला रहैं है,
की आप आएं,,,

आपकी गोद में, अपना सिर रखकर,
आपके हाथों के स्पर्श हेतु मचल रहैं है...
की आप आएं,,,

सौंदर्य बहोत गहरा है, हमारी अंतरआत्मा का..,

उस पर समय का पहरा है, समय है,,, आपका...
मेरे नैना, दीपक-बाती से जलते-बुझते, हाँ, इन्हें इंतजार हैं, आपका...,
की आप आएं,,,

आप आओ और समेट लो हमें, अपने पवित्र आँचल में,
सदा सदा के लिए, प्रभुजी🙏
जिंदगी की हर राह,पुकारती है, आपको,
की आप आएं,,,

विरह की पीर, ह्रदय में जगाकर,
अनजान नगर में, हमें ठहराकर..
प्रभुजी,आप औझल हो गये,

हमारी विनती है,
की आप आएं...

प्रभुजी,
निर्मल भावों से,
निर्जन होती इस दुनियां में,
हम पीड़ित होकर आप को, बुलाते हैं...
की आप आएं,,,

सौंदर्य की पराकाष्ठा हैं,
अंतरआत्मा की चेतना,
जीवन-मरण के बीच हैं, हमारी ये साधना..साध लो न प्रभुजी...
पाती हमारी...
हम इस मनोरम आस में, हर - पल भीगते हैं.. प्रभुजी...,
की आप आयें,,,

बचपन से.., नहीँ हर जन्म से पहले...,
नहीं... हर आदि से अन्त तक आपने हमें सम्भाला...,
अब मझधार में क्यों झूलती हैं, नैया...,

सुनिये,ओ जग के खिवैया...

की आपको
"निष्काम"
बहती हवाओं का वास्ता,
जलती अग्नि का वास्ता,
सहती धरती का वास्ता,
अनन्त तक फेले तमाम आसमान का वास्ता,
आपको बहते जल का वास्ता..

"निष्काम पांचतत्व"
की ये काया,
आज...
रग- रग की तड़प जिसमें कहती हैं...
की आप आयें...।
🙏🇮🇳🌍🐚

© nikita sain
#prabhukarpa #anteraatma,ki,tadap #soul-nature #पवित्र-आँचल #nature,work,hard #poetry #@lali9533 #भाव #प्रभुजी #निष्काम