आखिर हूँ तो तेरा ही ना!
👸🥀🥀🥀🥀🥀👸
चलती मर्जी मेरी तुमपे ही ना,
होती अर्जी पूरी तुमसे ही ना।
किसपे इतराउं कहाँ इठलाऊँ,
हदें सारी तुम तक ही ना।
उल्फत तुम तक, रूसवाई भी,
ज़िद तुम तक , अंगड़ाई भी।
कागज़ तुम ही, रोशनाई भी,
गजल तुम से, परछाई भी।
बेबाक लब्ज़ तुम तक ही ना,
खिलती हसीं तुमसे ही ना।
यूँ नाराज़ ना हुआ कर...
चलती मर्जी मेरी तुमपे ही ना,
होती अर्जी पूरी तुमसे ही ना।
किसपे इतराउं कहाँ इठलाऊँ,
हदें सारी तुम तक ही ना।
उल्फत तुम तक, रूसवाई भी,
ज़िद तुम तक , अंगड़ाई भी।
कागज़ तुम ही, रोशनाई भी,
गजल तुम से, परछाई भी।
बेबाक लब्ज़ तुम तक ही ना,
खिलती हसीं तुमसे ही ना।
यूँ नाराज़ ना हुआ कर...