...

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यादे
याद बहुत आते है, फ़ुल्की चटनी वाले दिन
बीत गए है कई माह, समोसॆ तेरे बिन
याद बहुत आते है............

दिखी नहीं है, ठन्डी कुल्फ़ी ना आइस का ठेला
मिली नहीं हैं, प्यारी लससी ना ही कोका कोला
ना ही मिले आनंद ना ही काटे कट्ते दिन
याद बहुत आते है............

गुम से गए वो दोर पुराने, मित्रो संग की बाते
सदियों जैसी लगने लगी है, पार्टी वाली राते
छीनी झपटी खुद पीली वो सिगरेट वाले दिन
याद बहुत आते है.........

सत्यानाश होय रे तोरो,पापी दुष्ट करोना
हाय लगेगी हम ओरो कि, सुन ले क्रूर करोना
होगा तेरा अंत तू सुनले, दूर नही वो दिन
याद बहुत आते है........
*राजा आदर्श गर्ग*