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सबसे ज़रूरी क्या ?...(आत्म - मंथन)
कर के आत्म मंथन स्वीकार कर जिंदगी को
परख के देख ले या जी ले इस जिंदगी को
जो कुछ भी लगे अमृत - सा
उसे बांट दे सृष्टि में
जो मिले विष - सा
उसे उतार ले कंठ तक
हृदय तक न जाने देना कनक की एक बूंद
मुस्कुराकर अपना ले शिव का पावन प्रणय
जी ले इस क्षण को
भंग होने से पहले
माधव की तरह बन जा
स्मृति में खोने से पहले !
__💞__पूजाप्रेम__💞__
© All Rights Reserved
परख के देख ले या जी ले इस जिंदगी को
जो कुछ भी लगे अमृत - सा
उसे बांट दे सृष्टि में
जो मिले विष - सा
उसे उतार ले कंठ तक
हृदय तक न जाने देना कनक की एक बूंद
मुस्कुराकर अपना ले शिव का पावन प्रणय
जी ले इस क्षण को
भंग होने से पहले
माधव की तरह बन जा
स्मृति में खोने से पहले !
__💞__पूजाप्रेम__💞__
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