...

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Prasang
चल आज फिर से संग हो
बहोत बड़ा प्रसंग हो
गुफ्तगू की भंग हो
और पिस्ता मृदंग हो
इंसानियत की बात कर
तू कुछ सही हालत कर
जो देख चल रहा अभी
क्या मांगता दुआ वही ?
है रुद्र्रा रूप कांपती इंसानियत भी भागती
प्रचंड रूप काल का जो तू नहीं संभालता
फिर सोच ले यही अभी, जो आ गया तो ेएक बार
हर रक्त नाद हाहाकार हर रक्त नाद हाहाकार
इंसानियत की बात कर तू कुछ सही हालत कर
जो देखता तू स्वर्ग से तो देखता तू खुद यही
तू कौन सा ही धूल है जो उड रहा फिजूल है
कहा किसी का कौन तू जो बन रहा वकील है
वनस्पति की छाओ में है केसरों की गाँव में
जो उड रही है धूल आज तू दंड का हकदार है
ना स्वर्ग की अपेक्छा कर ना नर्क का जंजाल है
तू अभी और यहीं मर्र रहा फिलहाल है
इंसानियत की बात कर तू कुछ सही हालत कर
हां माना तू महान है , क्यों बन रहा भगवान है
जो बन रहा भगवान है क्यों मर रहा इंसान है
जो मर रहा इंसान है फिर तू कहाँ महान है
चल छोड जाल झूठ का हाँ केह दे तू इंसान है
बहोत बड़ा विशाल दिल वो इसलिए भगवान है
इंसानियत की बात कर तू कुछ सही हालत कर
चल आज फिर से संग हो बहोत बड़ा प्रसंग हो
गुफ्तगू की भंग हो और पीसता मृदंग हो
चल आज फिर से संग हो

राहुल सेंगर

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