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हम जी रहे हैं, दूसरों के लिए

जो कह रहे हैं कि अब लोगों के पास दूसरों के लिए वक्त नहीं बचा वो गलत बता रहे हैं।
आजकल तो लोग पूरा जीवन ही दूसरों के लिए बीता रहे हैं।।

गैरों की लाइफ कैसी हैं इसकी खुद की से ज्यदा फ़िक्र है।
जब बात करते हैं कोई दो तो अक्सर रहता किसी तिसरे का जिक्र है।
लोग होते है खुश देखकर दूसरों की आँखों में नमी।
खुद की गलती सुधारने को वक्त नहीं और ढुंढ रहे है गैरों में कमी।।
हँसने के लिए भी दूसरों पर निर्भर हैं और आत्मनिर्भर होने का दिखावा जता...