हम जी रहे हैं, दूसरों के लिए
जो कह रहे हैं कि अब लोगों के पास दूसरों के लिए वक्त नहीं बचा वो गलत बता रहे हैं।
आजकल तो लोग पूरा जीवन ही दूसरों के लिए बीता रहे हैं।।
गैरों की लाइफ कैसी हैं इसकी खुद की से ज्यदा फ़िक्र है।
जब बात करते हैं कोई दो तो अक्सर रहता किसी तिसरे का जिक्र है।
लोग होते है खुश देखकर दूसरों की आँखों में नमी।
खुद की गलती सुधारने को वक्त नहीं और ढुंढ रहे है गैरों में कमी।।
हँसने के लिए भी दूसरों पर निर्भर हैं और आत्मनिर्भर होने का दिखावा जता रहे हैं।।
जो कह रहे हैं कि अब लोगों के पास दूसरों के लिए वक्त नहीं बचा वो गलत बता रहे हैं।
आजकल तो लोग पूरा जीवन ही दूसरों के लिए बीता रहे हैं।।
दुश्मन को लोगों की नजरों में गिराने के चक्र में अक्सर हम खुद खुद की नज़र में गिर जाते हैं।
क्यों हम कुछ कहकर के पल-भर में बात से फिर जाते हैं।
क्या मिलता है हमें करके लोगों के सामने दुश्मन को गलत साबित।
किसी के लिए कुछ करना भी नहीं चाहते और जी भी रहे हैं दूसरों के मुताबित ।।
छोटा सा जीवन बिताना है इस धरा पर फिर भी लोग क्यों एक - दूसरे को सता रहे हैं।
जो कह रहे हैं कि अब लोगों के पास दूसरों के लिए वक्त नहीं बचा वो गलत बता रहे हैं।
आजकल तो लोग पूरा जीवन ही दूसरों के लिए बीता रहे हैं।।
© सूरज " अल्फ़ाज "