...

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मेंहदी
तू फिर सज जाती है,
मेंहदी जैसे रंग जाती है।
साथ छूटने से पहले,
जो निशान छोड़ जाती है।

मुहब्बत सिर्फ इतनी है,
रंग मेंहदी जितनी है।
कभी भी दूर न हो जो,
लालिमा संग कितनी है।

हरी होकर, लाल बनना,
हुनर मेंहदी सिखाती है।
धो दिया पानी से जितना,
रंग उतना ही सजाती है।




© Dr.parwarish