...

4 views

एक गहरी सोच!
है ये रात गहरी
है ये अरदास गहरी
जो निकली है दिल से
वो बात गहरी
मिलना है उससे
ये आवाज गहरी।

अब है ये दूरी उससे
जाने क्यों खफा हुईं मुझसे
है ये उम्मीद गहरी
उसकी सुगंध है हवा में बहरी
वो आएगी मुझसे मिलने
चीख चीख कर ये फिजाएं कहरी।

जब आएगी वो
बहार लाएगी वो
अपने संग किस्से हजार लाएगी वो
करूंगा उसका इंतजार ताउम्र में
जब मिलूंगा उससे
पूछूंगा उसके किस्से।

पूछना है उससे
जो होता है मुझे
वो उसे भी होता है क्या
अकेले में वो भी रोता है क्या
तकिए को कावा पाकर
वो भी सोता है क्या।
© All Rights Reserved