"अधूरे सपनों की सिसकियाँ"
जाने मेरे सपने क्यों अधूरे रह गए,
क्या कमी थी मुझ में, जो सब कुछ कह गए,
मेरे अपने ही मुझ से क्यों रूठ गए,
दिल के अरमान, आंसुओं में डूब गए।
चाहत की कशिश थी, पर हवाओं में बिखर गई,
ज़िंदगी के रास्ते पे, खुशियां कहीं खो गई,
हर खुशी को पाने...