...

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खुशियों की मृत्यु
जो लोग मेरे बोलने से बहुत परेशान थे
मैने उनको तोहफ़े में ख़ामोशी दे दी
किसी बात पर अपनी राय नहीं देती
मैंने चुप्पी अब अधरों पे धर ली

हां, बहुत टोकते थे, कहते थे तुम,
कितना बोलती हूं हर जगह ही अपना मुंह खोलती हो
हर बात पे खिखिलाती रहती हो
कभी चुप क्यों नहीं रह...